बंद दरवाजे के भीतर
पुरानी स्मृतियाँ
सरसराहट पैदा करती हैं
मनो पुराने फैसले पर
कहकहे लगा रही हों
और कह रही हों
‘हम पहले से न कहती थीं?’
माँ कहती है
गरीबो की मदद किया करो
मैं जेब की चिल्लड़
कभी कभी बाँट दिया करता हूँ
पिताजी उनके हक़ मैं मोर्चे किया करते हैं
दोस्त केले वाले का टोकरा
उनके सर पर रखवा कर दुआ ले लेते हैं
नेताओं ने स्कीम बहुत सी निकाली हैं
शायद भला भी हुआ हो
बाकि बात सिर्फ इतनी है
चुगने वाले ज्यादा हैं
और
चुगने को दाने बहुत कम