आप आये खुदा की कुदरत है….. या फिर हो सकता है आप मुझको पहले से जानते हों… दोस्त हो सकते हैं, हो सकता है हमने कभी साथ साथ एक ही दफ्तर मे काम किया हो, या फिर यह भी हो सकता है की आप मेरे उस दोस्त के दोस्त हों जो फेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम पर मेरे साथ जुड़ा है… खैर अब जब आप आ ही गए हैं तो निराश नहीं लौटेंगे, क्योंकि
१) अगर आपको चुटकी लेने मे मजा आता है तो आप और मैं बहुत अच्छे दोस्त बन सकते हैं… मुझे पसंद है अपने आस पास की घटनाओ पर अपनी राय, मत, व्यंग्य साझा करना … और अगर आपको चुटकी लेना पसंद है तो आपको सीधे जाना चाहिए — “राजनैतिक व्यंग्य“
२)पहले एक घटना घटती है – बाह्रय जगत मे , फिर कुछ और घटता है – अन्त:करण में, क्रमशः घटना का दृश्य अनेकानेक आकार लेता है – मनःस्तिथि के अनुसार, अनुभूति जगती है और अंततः अभिव्यक्ति की व्याकुलता…बस यही प्रक्रिया है कविता कहने की… इस प्रक्रिया से प्रसफुटित कुछ कविता प्रस्तुत हैं….
३)मेरी कहानियां मेरे दोस्तों को कई बार आहत कर देती हैं. कई बार दोस्त फ़ोन करते है ओर शिकायत करते हैं, “तुझे बताया था, इसलिए नहीं कि सबको बता दे” असल में होता यह है कि हर बातचीत मे कहानी ढूढ़ता रहता हूँ; लेकिन स्वयं कि बहुत सी अनुभूतियाँ तथा संवेदनायें यदि सीधे-सीधे लिखूं तो बहुत से दोस्तों को आहत कर बैठता हूँ. इसलिए गल्प का सहारा लेता हूँ; लेकिन फिर भी वो तो जान ही लेता है. बहुत छोटी छोटी घटनाओं को लेकर छोटी छोटी कहानियां, जिसे एक बैठक में पढ़ा जा सके लिखता हूँ. यह कहानियां है भी या नहीं मैं नहीं जानता.
४) कभी कभी अब्सर्ड (असंगत) कहानियां लिखता हूँ और यह कहानियां १०-१२ पंक्तियों में ख़तम कर देता हूँ … कुछ साझा कर रहा हूँ.. लघु-कथा
हिंदी मैं लिखना आसान लगता है, लेकिन कोई यह न समझे की हिंदी में महारत है, कभी कभी अंग्रेजी में भी लिखता हूँ, लेकिन अंग्रेजी आती नहीं है ठीक से…. एक दोस्त तो हर मौके पर एहसास भी दिला देता है की अंग्रेजी नहीं आती मुझको….बस काफी है ……… और हाँ याद रहे अगर आप फेसबुक पर अभी मेरे दोस्त नहीं है, तो रिक्वेस्ट भेज दीजिये “फेसबुक“
Info is really praiseworthy and ur writings are as usual spirited. Moreover, videos are really supernal and commendable Wish I would be able to learn how to make them. Anyways, wish u luck for this.
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