पहले एक घटना घटती है – बाह्रय जगत मे
फिर कुछ और घटता है – अन्त:करण में
क्रमशः घटना का दृश्य अनेकानेक आकार लेता है – मनःस्तिथि के अनुसार
अनुभूति जगती है और अंततः अभिव्यक्ति की व्याकुलताबस यही प्रक्रिया है कविता कहने की… इस प्रक्रिया से प्रसफुटित कुछ कवितायें प्रस्तुत हैं